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पशु सखी ने बनाई पहचान

लाभूक का नाम- सरोजनी उरांव 

स्थान- हाटी, भंड़रा (लोहरदगा)

झारखंड आदिवासी सशक्तिकरण एवं आजीविका परियोजना के तहत आदिवासी परिवारों को कई प्रकार की गतिविधियों से जोड़ कर उन्हे सशक्त व सबल बनाने का प्रयास किया जा रहा है | इसी कड़ी मे ग्रामीण महिलयों को भी अवसर मिल रहा है | ऐसी ही एक कहानी है ग्राम हाटी के श्रीमती सरोजनी उरांव की | 

झारखंड आदिवासी सशक्तिकरण एवं आजीविका परियोजना के संचालन मे गाँव के पशु धन की देख रेख करने उनके लिए टीका चारा आदि प्रबंधन के लिए ग्राम स्तर पर इन्हे पशु सखी के रूप मे चयनित किया गया | जिसका मुख्य कार्य पशु संबंधित व्यवस्था को देखना था और पशु लाभुकों को पशु पालन के संबंध मे विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराना था | 

पशु सखी के रूप मे सरोजनी को कई प्रकार का प्रशिक्षण दिया गया जिससे उसका बौद्धिक उन्नयन हुआ | इससे वह आज अपने गाँव व आस पास के गाँव मे पशु संबंधी सेवाये दे रही है और बदले मे मामूली शुल्क लेकर अपना आर्थिक विकास कर रही है | इससे न केवल आर्थिक रूप से वह सशक्त हुइ है बल्कि एक महिला के रूप मे समाज मे अपनी सेवा दे कर अपनी एक नई पहचान बनाने मे सफल हुई है | आज इसका लाभ समाज को मिल रहा है|